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नूंह रेलवे लाइन: 2500 करोड़ की परियोजना से मेवात की तस्वीर बदलेगी, पांच दशक पुराना सपना होगा साकार।

नूंह रेलवे लाइन: 2500 करोड़ की परियोजना से मेवात की तस्वीर बदलेगी, पांच दशक पुराना सपना होगा साकार।

2500 करोड़ की नूंह रेलवे लाइन: मेवात के विकास का नया युग
नूंह रेल प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी, मेवात की वर्षों पुरानी मांग पूरी
दिल्ली-अलवर रेल लिंक से बदलेगी मेवात की तस्वीर
नूंह रेलवे लाइन बनेगी आर्थिक तरक्की की रफ्तार
मेवात में जश्न: दशकों पुराना रेल सपना अब होगा साकार

नूंह डी.सी.नहलिया; हरियाणा का नूंह जिला और मेवात क्षेत्र दशकों से रेल सेवा का इंतजार करता रहा। जहां बाकी देश में रेलगाड़ियां विकास की रफ्तार को आगे बढ़ा रही थीं, वहीं मेवात के लोग रेल की सीटी की आवाज को तरसते रहे। लेकिन अब यह इंतजार खत्म होने को है। केंद्र सरकार ने दिल्ली-सोहना-नूंह-फिरोजपुर झिरका-अलवर रूट पर नई रेलवे लाइन बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस ऐतिहासिक परियोजना पर करीब 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस रेल लाइन को मेवात के लिए विकास की नई पटरी कहा जा रहा है।

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पांच दशकों से पड़ी थी अधूरी मांग

नूंह रेलवे लाइन की मांग कोई नई नहीं है। इस क्षेत्र के लोगों ने रेल सेवा की जरूरत को 1971 में ही आवाज दी थी। उस वक्त गुड़गांव के सांसद और मेवात के लोकप्रिय नेता चौधरी तय्यब हुसैन ने संसद में इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने केंद्र सरकार से गुजारिश की थी कि मेवात को दिल्ली और अलवर से जोड़ा जाए ताकि इस पिछड़े इलाके को मुख्यधारा से जोड़कर विकास की रफ्तार दी जा सके।

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सरकार ने उस समय इस रूट का सर्वे भी करवाया। लेकिन राजनीति की उठापटक और प्राथमिकताओं में बदलाव के चलते यह परियोजना फाइलों में दबकर रह गई। अब लगभग 50 साल बाद एक बार फिर केंद्र सरकार ने मेवात के इस सपने को हकीकत में बदलने का बीड़ा उठाया है।

दिल्ली से अलवर तक विकास की नई पटरी

इस प्रस्तावित रेलवे लाइन से दिल्ली, सोहना, नूंह, फिरोजपुर झिरका और अलवर एक-दूसरे से सीधे जुड़ जाएंगे। इससे न केवल लोगों की आवाजाही सुगम होगी, बल्कि मेवात जैसे पिछड़े इलाके को व्यापार, उद्योग और शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे।

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रेलवे मंत्रालय की योजना के मुताबिक इस लाइन के बनने से दिल्ली से अलवर तक की दूरी कम होगी। साथ ही, मेवात के लोग भी आसानी से दिल्ली और अलवर जैसे बड़े शहरों तक आ-जा सकेंगे। अब तक यहां के लोगों को बस और निजी गाड़ियों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे सफर महंगा और असुविधाजनक होता था।

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2500 करोड़ की लागत से क्या बदलेगा मेवात में?

यह रेलवे प्रोजेक्ट केवल एक रेल पटरी का निर्माण नहीं है, बल्कि यह मेवात की किस्मत बदलने की उम्मीद लेकर आया है। यहां के लोग सालों से विकास से दूर थे। अब यह रेल लाइन मेवात की अर्थव्यवस्था को गति देने वाली साबित होगी।

व्यापार को मिलेगा नया आयाम —
इस रेलवे लाइन से स्थानीय व्यापारियों को अपने माल को दिल्ली और अन्य बड़े बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी। फल, सब्जियां, डेयरी उत्पाद, और मेवात की हस्तशिल्प सामग्री देश के कोनों तक पहुंचेगी।

रोजगार के नए अवसर —
रेल लाइन के निर्माण और उसके बाद संचालन में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। स्थानीय युवाओं को रेलवे में नौकरी करने का अवसर भी मिलेगा।

 शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं होंगी सुलभ —
अब मेवात के छात्रों को दिल्ली और अलवर की बड़ी यूनिवर्सिटी तक पहुंचना आसान होगा। वहीं बीमार मरीजों को बड़े अस्पतालों तक ले जाने में भी सहूलियत होगी।

 रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर को मिलेगा बढ़ावा —
रेल लाइन के चलते नूंह, फिरोजपुर झिरका जैसे इलाकों में रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बाढ़ आ सकती है।

मेवात में जश्न का माहौल

नूंह रेलवे लाइन को मिली मंजूरी के बाद मेवात में खुशी की लहर है। गांव-गांव में लोग इस फैसले की सराहना कर रहे हैं। बुजुर्ग कह रहे हैं कि उनके जीवन में उन्होंने इस सपने को सच होते देखा है। युवाओं में जोश है कि अब मेवात का भविष्य उज्जवल होगा।

सरपंचों, पंचायत सदस्यों और समाजसेवियों ने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए उम्मीद जताई है कि परियोजना पर जल्द से जल्द काम शुरू होगा और इसे समय पर पूरा किया जाएगा।

कब तक शुरू होगा काम?

रेलवे मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस परियोजना की डीपीआर तैयार हो रही है। काम 2026 की शुरुआत में शुरू होने की संभावना है। पूरा प्रोजेक्ट 2029 तक तैयार होने की उम्मीद है।

नूंह रेलवे लाइन क्यों मानी जा रही है ऐतिहासिक?

·  यह परियोजना दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के बीच आवागमन को सुगम बनाएगी।

·  मेवात जैसे पिछड़े क्षेत्र को पहली बार रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का काम होगा।

·  इस परियोजना से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कनेक्टिविटी को और मजबूती मिलेगी।

·  रेलवे के जरिये माल और यात्री यातायात दोनों को लाभ मिलेगा।

चुनौतियां भी कम नहीं

जहां एक ओर इस प्रोजेक्ट से विकास की नई उम्मीदें जगी हैं, वहीं चुनौतियां भी बड़ी हैं। जमीन अधिग्रहण, पर्यावरणीय स्वीकृति, और फंडिंग की प्रक्रिया तेज करनी होगी ताकि प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो सके।


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