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हरियाणा के नूंह में सियासी बवाल: पूर्व BJP मंत्री पर हमला, 77 पर केस।

पूर्व मंत्री संजय सिंह के काफिले पर हुआ पथराव,नूंह में सरपंच चुनाव की जीत पर छिड़ा संघर्ष:

चुनावी रंजिश में बदला विजय जुलूस: महिलाओं ने छतों से बरसाए पत्थरमचा हड़कंप

डी.सी.नहलिया / नूंह; जिले में सरपंच चुनाव के बाद हुए विवाद ने उस समय गंभीर रूप ले लिया जब एक विजयी जुलूस के दौरान पूर्व राज्य मंत्री कुंवर संजय सिंह के काफिले पर पथराव किया गया। यह घटना केवल चुनावी रंजिश नहीं, बल्कि स्थानीय तनाव, पूर्व के विवादों और सत्ता के समीकरणों का परिणाम भी प्रतीत होती है।

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सरपंच चुनाव और पहले की घटनाएं

नूंह जिले के तावडू थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव चीला में पहले निश्वा नामक महिला सरपंच के रूप में चुनी गई थीं। लेकिन उनके शैक्षणिक दस्तावेजों को लेकर कई शिकायतें प्रशासन को मिलीं। आरोप था कि उनके पास जो प्रमाण पत्र थे, वे असली नहीं बल्कि फर्जी थे।

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 प्रशासन ने इस पर तुरंत जांच बैठाई और जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोप सही हैं। दस्तावेज असली नहीं पाए गए। इसके बाद नियमों के तहत निश्वा को उनके पद से निलंबित कर दिया गया और गांव में दोबारा उपचुनाव की घोषणा कर दी गई।

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यह स्थिति पहले से ही गांव में दो खेमों के बीच मतभेद को गहरा कर चुकी थी।
 
उपचुनाव और नया सरपंच
16 जून 2025 को गांव में उपचुनाव हुआ। इसमें खालिद हुसैन की बेटी मुमताज ने भाग लिया और वह विजयी रही। मुमताज ने 1288 मत हासिल किए, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी तबस्सुम को 948 वोट मिले। मुमताज की जीत 341 वोटों के अंतर से हुई, जो एक स्पष्ट जनादेश माना जा सकता है। इस जीत के बाद खालिद हुसैन के परिवार और उनके समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू किया।

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जश्न में शामिल हुए पूर्व मंत्री
पूर्व वन एवं खेल राज्य मंत्री कुंवर संजय सिंह भी इस विजयी जश्न में शामिल हुए। वह मुमताज के परिजन खालिद के व्यक्तिगत निमंत्रण पर पहुंचे थे। यह बात गौर करने वाली है कि कुंवर संजय सिंह नूंह जिले के तावडू क्षेत्र से भलीभांति परिचित हैं क्योंकि यह क्षेत्र उनकी विधानसभा सीट सोहना के अंतर्गत आता है।

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संजय सिंह बग्गी (घोड़ा गाड़ी) पर सवार होकर गांव में निकाली जा रही विजय यात्रा में शामिल हुए। ढोल-नगाड़ों और डीजे की तेज़ धुन पर समर्थकों ने नाच-गाना भी किया। जुलूस में उत्साह चरम पर था।

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विवाद की चिंगारी: टोंट और आतिशबाजी
जुलूस जब गांव की एक गली से गुजर रहा था, तब वह एक ऐसे घर के सामने से होकर निकला जहां हारने वाले प्रत्याशी का निवास था। स्थानीय लोगों का कहना है कि जश्न में शामिल कुछ समर्थकों ने वहां मज़ाकिया टिप्पणी (टोंट) की, साथ ही कुछ ने डांस करते हुए म्यूज़िक को और तेज़ कर दिया। कहा जा रहा है कि यह स्थिति हारने वाले प्रत्याशी और उनके परिवार के लिए असहनीय बन गई। महिलाओं ने पहले प्रतिक्रिया दी और छतों से कुछ बोलते हुए जुलूस में शामिल लोगों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
 ❖ छतों से बरसे पत्थर, भगदड़ मची
जैसे ही छतों से पथराव शुरू हुआ, माहौल एकदम बदल गया। पहले तो लोगों को समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है। लेकिन जब पत्थरों की बौछार तेज़ हुई, तो विजय यात्रा में शामिल समर्थकों में भगदड़ मच गई सभी इधर-उधर जान बचाकर भागने लगे। वीडियो फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि कुछ महिलाएं छत पर चढ़कर लगातार पत्थर फेंक रही हैं। बाद में पुरुष भी छतों और नीचे से पथराव में शामिल हो गए।

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संजय सिंह को सुरक्षित निकाला गया
इस घटना में सबसे बड़ी चिंता पूर्व मंत्री संजय सिंह की सुरक्षा को लेकर थी, क्योंकि वह बग्गी पर खुले में सवार थे। जैसे ही पथराव शुरू हुआ, उनके साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों ने उन्हें तुरंत बग्गी से नीचे उतारा और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। गनीमत रही कि इस अफरातफरी में कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। लेकिन घटना इतनी भयावह थी कि अगर समय पर बचाव न होता, तो गंभीर जानमाल का नुकसान हो सकता था।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही तावडू के सदर थाना प्रभारी जितेंद्र यादव और डीएसपी देवेंद्र सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लेने की कोशिश की गई और तनाव बढ़ने से पहले जुलूस के बचे हुए हिस्से को पुलिस की निगरानी में संपन्न कराया गया। 
आईपीसी की धारा 147 (दंगा करना)148 (घातक हथियारों से दंगा)149 (गैरकानूनी जमावड़ा)307 (हत्या का प्रयास) भी जोड़ी जा सकती है, यदि जानलेवा हमले की पुष्टि हो।

जैसे ही पूर्व मंत्री संजय सिंह के काफिले पर हुए पथराव की सूचना प्रशासन को मिली, हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी हरकत में आ गए। घटना के कुछ ही देर बाद तावडू सदर थाना प्रभारी जितेंद्र यादव, डीएसपी देवेंद्र सिंह और अन्य पुलिस बल गांव चीला पहुंचा। मौके पर तनाव पूर्ण वातावरण था। लोगों में डर था, अफवाहें भी तेजी से फैल रही थीं। पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को संभालने के लिए सबसे पहले भीड़ को तितर-बितर किया और पथराव प्रभावित इलाके की घेराबंदी कर दी।

पुलिस ने पथराव की घटना को अंजाम देने वालों की पहचान के लिए तकनीकी माध्यमों का सहारा लिया। गांव में मौजूद लोगों द्वारा बनाए गए वीडियो, CCTV फुटेज और ड्रोन से ली गई छवियों की मदद ली गई।इनमें कुछ ऐसे चेहरे स्पष्ट रूप से सामने आए जिन्होंने पत्थरबाजी में सक्रिय भूमिका निभाई थी। कुछ महिलाएं भी वीडियो में छतों से लगातार पत्थर फेंकती दिख रही थीं। सरपंच प्रतिनिधि खालिद हुसैन की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने 37 नामजद और 40 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। कुल मिलाकर 77 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ। इनमें से 9 लोगों को पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार लोगों में 4 पुरुष और 5 महिलाएं थीं। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इन्हें अदालत में पेश किया और रिमांड की मांग की, जिससे कि गहन पूछताछ की जा सके। डीएसपी देवेंद्र सिंह ने प्रेस को बताया कि इस पूरी घटना को पूर्व नियोजित यानी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा:

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"हमने मौके पर जांच के दौरान कुछ घरों की छतों से भारी मात्रा में पत्थर बरामद किए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमला अचानक नहीं था, बल्कि पहले से ही तय था।"


पूर्व मंत्री कुंवर संजय सिंह ने एक प्रेस बयान में कहा कि:

"मैं उस कार्यक्रम में शामिल होने गया था जिसमें मेरी एक पारिवारिक मित्र की बेटी मुमताज की जीत का जश्न मनाया जा रहा था। वहां लोगों ने खुशी मनाई, लेकिन किसी ने जानबूझकर टकराव की स्थिति बना दी। मेरे पीछे शायद पथराव हुआ, लेकिन यह घटना निंदनीय है।"उन्होंने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं विपक्षी दलों ने घटना को लेकर सरकार पर हमला बोला। कुछ ने कहा कि नूंह जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं होना सरकार की असफलता है।


यह पूरा विवाद केवल एक चुनावी परिणाम भर नहीं था। गांव चीला पहले से ही दो राजनीतिक-सामाजिक गुटों में बंटा हुआ था। एक पक्ष खालिद हुसैन और उनके समर्थकों का था, जबकि दूसरा विपक्षी तबस्सुम के पक्ष का। जब मुमताज की जीत हुई, तो हारने वाले पक्ष को यह नागवार गुज़रा। उनका मानना था कि प्रशासन ने उनका पक्ष नहीं सुना, और चुनाव में धांधली हुई है। इस घटना में महिलाओं की भागीदारी को लेकर सामाजिक विश्लेषकों में चर्चा है। अधिकतर पत्थरबाजी महिलाओं द्वारा शुरू की गई, जो एक असामान्य स्थिति मानी जा रही है। आमतौर पर राजनीतिक टकराव में पुरुष आगे रहते हैं, लेकिन इस बार महिलाएं छतों पर चढ़कर हमला करती दिखीं


कुछ लोगों का कहना है कि यह महिला सशक्तिकरण नहीं बल्कि सामाजिक कटुता की पराकाष्ठा है, वहीं कुछ का मानना है कि यह केवल आवेश में की गई प्रतिक्रिया थी। हालांकि पुलिस ने समय पर पहुंचकर स्थिति को संभाला, लेकिन सवाल यह उठा कि एक पूर्व मंत्री की मौजूदगी वाले कार्यक्रम में अग्रिम खुफिया चेतावनी क्यों नहीं थीक्या प्रशासन को यह अंदेशा नहीं था कि पहले से तनावपूर्ण माहौल में विजय जुलूस से टकराव हो सकता है?


इसका जवाब देते हुए डीएसपी देवेंद्र सिंह ने कहा:

हमारी टीम पहले से मौजूद थी, लेकिन पथराव जिस गली में हुआ, वह अचानक स्थिति थी। हम अब वहां स्थायी पुलिस तैनात कर रहे हैं।” गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें: पुलिस ने अदालत से आरोपियों के फिजिकल रिमांड की मांग की है ताकि उनसे पूछताछ करके यह पता लगाया जा सके कि घटना की साजिश कहां बनी और कौन मास्टरमाइंड था। नूंह जैसी जगह, जो पहले भी कई बार साम्प्रदायिक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील रही है, वहां इस तरह की घटनाएं केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहतीं। इनका असर समाज की नींव पर पड़ता है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि चुनावी हार-जीत केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं होती, बल्कि उसके पीछे व्यक्तिगत, सामाजिक और सांस्कृतिक भावनाएं भी जुड़ी होती हैं।

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