आईजी राकेश आर्य बोले: ‘आर्य वीरांगना शिविर समाज और युवा के लिए प्रेरणा’
फिरोजपुर झिरका में बालिकाओं ने योग‑यज्ञ‑आत्मरक्षा से भरी ऊर्जा—शक्तिशाली प्रस्तुति
एमडीएच चेयरमेन ने दी कविर-प्रशासनिक फीडबैक: जागृति और आत्मविश्वास सबसे बड़ा फल
फिरोजपुर
झिरका, डी.सी.नहलिया।
श्री दयानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल में
आयोजित सात दिवसीय आवासीय आर्य वीरांगना दल शिविर का भव्य समापन समारोह आज हुआ,
जिसमें अभियार्थी बालिकाओं ने अपना
निपुण कौशल और आत्मविश्वास प्रदर्शित किया। इस आयोजन ने विद्या, संस्कृति और आत्मबल का अद्भुत मेल
प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित आईजी
पंचकूला राकेश आर्य ने इस शिविर की प्रसंशा की और ध्वजारोहण
कर कार्यक्रम को औपचारिक रूप से समापन किया।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने झिरका पहुंचकर पूर्व विधायक नसीम अहमद की माता के निधन पर जताया शोक।
शिविर की शुरुआत से समापन तक की यात्रा
शिविर की शुरुआत 23 जून को हुई थी, जिसमें लगभग 275 बालिकाओं ने हिस्सा लिया—जो कि मेवात क्षेत्र के लगभग 50 गांवों का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। इन बालिकाओं ने आत्मरक्षा, योग, सांस्कृतिक नृत्य, यज्ञ, पेंटिंग और टीम बिल्डिंग जैसे कौशल सीखे।
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समापन समारोह की शुरुआत विद्यालय मैदान में स्वागत अभिवादन से हुई, जिसमें हरे सिंह (वरिष्ठ आर्य शिक्षक, आर्य वीर दल) ने शिविर की यात्रा पर प्रकाश डाला। शिक्षिकाओं और प्रशिक्षकों—अरूण आर्य, वेदप्रकाश आर्य, खेमचंद आर्य, नारदेव आर्य, सुभाष आर्य बजाज, वीना आर्य, राजरानी बंसल, ज्योतिबाला आर्य, सुषमा वधवा, शीला देवी, कमला आर्य, ज्ञानवती आर्य, कल्पना आर्य, रामवती आर्य—ने बालिकाओं को प्रेरित किया।
पथ संचलन में उमड़ा जनसमूह, बेटियों के आत्मबल और संस्कृति की छवि देख अभिभूत हुआ फिरोजपुर झिरका।
समारोह के मुख्य आकर्षण में बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत संस्कृति नृत्य, वेद पाठ, यज्ञ अनुष्ठान और आत्मरक्षा प्रदर्शन शामिल थे। उन्होंने गृहिणी योगाभ्यास, लघु–नाटक और समूह गीतों से दर्शकों की खूब सराहना पाई। इन प्रस्तुतियों ने बालिकाओं के मनोबल, संस्कार और सशक्त चेतना को उजागर किया।
आईजी
पंचकूला राकेश आर्य का संबोधन
मुख्यअतिथि आईजी पंचकूला राकेश आर्य ने कहा:
“यह स्थान मेरे बचपन का है, और मेरे पिता भी आर्य समाज से जुड़े थे। यही कारण है कि यह आयोजन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत मायने रखता है। आर्य वीरांगना दल शिविर जैसे पूरक कार्यक्रम सिर्फ युवा शक्ति को मजबूत नहीं बनाते, बल्कि समाज के बुनियादी संस्कारों को भी मज़बूत करते हैं। ऐसी पहलें हमें समय-समय पर आयोजित करनी चाहिए।”
उन्होंने ध्वजारोहण के पश्चात बालिकाओं को आश्वासन दिया कि पंचायत, प्रशासन और पुलिस सतर्कता बनाए रखेंगे और आगे भी इस प्रकार के सांस्कृतिक एवं सामाजिक शिविरों का समर्थन जारी रहेगा।
सामाजिक
प्रतिष्ठानों का सहयोग
समारोह में एमडीएच
ग्रुप के चेयरमेन जितेन्द्र भाटिया जैसे प्रतिष्ठित अतिथि भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा:
“इस तरह के शिविर समाज में जागृति लाते
हैं और युवाओं को आत्मविश्वास एवं नेतृत्व के गुण देते हैं।”
शिक्षा, समाज और स्थानीय प्रशासन के अनेक गणमान्यों जैसे अरविंद आर्य, राज कुमार गर्ग, सतीश पापड़ा, डा॰ देवेन्द्र आर्य, सतीश गर्ग, अनिल आर्य (गुरुग्राम), मनीष जैन (चेयरमैन नगरपालिका), एवं विद्यालय के सभी स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी दिखाई।
1. नारी सशक्तिकरण – बेटियों को आत्मरक्षा और आत्मविश्वास के
माध्यम प्रदान करना
2. संस्कृति और शिक्षा का संयोजन
बालिकाओं को वेद, आत्मरक्षा, योग, नेतृत्व और सांस्कृतिक ज्ञान देना
3. समुदाय निर्माण – शिक्षिकाओं, प्रशासन, समाज और परिवारों को साथ लाना
बालिकाएं अब वापस गांवों में यह सीखी गई बातें आत्मरक्षा, संस्कार और संगठनात्मक क्षमता का संचार करेंगी। जैसे ही बालिकाएं अपने घरों को लौटेंगी, वे यह नयी ऊर्जा गांवों तक फैलाएँगी। भविष्य में ऐसे शिविरों की वर्गीकरण में वृद्धि संभव है—जहाँ वेद, आत्मरक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण से जुड़े और कार्यक्रम हों।
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