जातीय जनगणना में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें देश के मुसलमान : मौलाना अरशद, फिरोजपुर झिरका में जुटे धर्मगुरु व समाजसेवी
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फोटो। जातीय जनगणना की बैठक के दौरान अपनी बात रखते पूर्व मंत्री आफताब अहमद |
झिरका में जुटे उलेमा और नेता, मुस्लिम समाज को दी जनगणना में भागीदारी की पुकार, 1931 की रिपोर्ट से तय होगी जातियों की पहचान, मुस्लिमों को मिलेगा ऐतिहासिक हक़, इस्लाम’ बनाम ‘मुस्लिम’ कॉलम : धार्मिक पहचान को लेकर नया प्रस्ताव सरकार के समक्ष
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फिरोजपुर झिरका (P18News/पुष्पेंद्र शर्मा) बुधवार को फिरोजपुर झिरका के भाकडोजी गांव स्थित टोडी के मदरसे में ऑल इंडिया मेवाती जातीय जनगणना जागरुकता अभियान कमेटी की विशेष बैठक आयोजित हुई। बैठक में दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से आए मौलानाओं, उलेमाओं, समाजसेवियों और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर हज़रत मौलाना अरशद मील ने की।
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मौलाना अरशद ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित जातीय जनगणना 2026 का स्वागत करते हुए देशभर के मुसलमानों से इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने कहा, "यह जनगणना सिर्फ आंकड़े नहीं बल्कि हमारी पहचान, अधिकार और भविष्य की नींव है।" मौलाना ने बताया कि देशभर में मुस्लिम समुदाय के बीच जनगणना को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 21 से अधिक सदस्यीय विशेष टीम गठित की गई है।
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इस मौके पर नूंह के विधायक और पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने कमेटी के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह पहल मुस्लिम समाज की भावी पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।" उन्होंने भरोसा दिलाया कि कमेटी जहां भी उन्हें ज़िम्मेदारी देगी, वे पूरी तरह सहयोग करेंगे।
बैठक में रिटायर्ड बैंक मैनेजर शिफात खां (अलवर) ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि यह जनगणना अप्रैल 2026 में आरंभ होकर 2027 तक पूरी होगी। इस बार यह प्रक्रिया डिजिटल होगी, जहां नागरिक स्वयं भी ऑनलाइन फॉर्म भर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पिछली जनगणना (2011) में जातियों को लेकर कई तकनीकी त्रुटियाँ हुई थीं, जिन्हें इस बार दूर किया जाएगा। विशेष रूप से 'मेव जाति' की गलत प्रविष्टियों को लेकर इस बार सतर्कता बरती जाएगी।
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उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार इस बार 1931 की हट्टन रिपोर्ट को आधार बनाकर जातीय विकल्प देने की योजना बना रही है। साथ ही कमेटी यह भी प्रयास कर रही है कि "रिलिजियस कॉलम" में "मुस्लिम" के स्थान पर "इस्लाम" शब्द दर्ज हो। यदि यह प्रक्रिया सही तरीके से लागू होती है, तो 26-01-1950 की अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मुस्लिम सूची को फिर से बहाल करने की संभावना भी बन सकती है, हालांकि आरक्षण का निर्णय सरकार की नीति पर निर्भर करेगा। बैठक का मंच संचालन मुफ्ती सलीम अहमद साकरस ने किया।
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