भारत की जनगणना 2027 में होगी आयोजित, केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की
भारत सरकार ने वर्ष 2027 में जनगणना कराने की घोषणा की
बर्फ से ढके क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 होगी संदर्भ तिथि
डिजिटल माध्यमों से हो सकती है जनगणना 2027, सरकार कर रही तैयारी
भारत सरकार ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत एक नई अधिसूचना जारी करते हुए वर्ष 2027 में भारत की अगली जनगणना आयोजित करने की घोषणा की है। यह निर्णय अधिसूचना संख्या एस.ओ. 2681(ई) के माध्यम से लिया गया है, जो गृह मंत्रालय के भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना एस.ओ. 1455(अ) (दिनांक 26 मार्च, 2019) के परिप्रेक्ष्य में जारी की गई है।
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भारत की जनगणना विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक जनसंख्या गणनाओं में से एक है और इसे हर दस वर्षों में एक बार संपन्न किया जाता है। हालाँकि, कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई थी।
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अब केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगली राष्ट्रीय जनगणना 2027 में करवाई जाएगी, जो देश की सामाजिक-आर्थिक योजनाओं और विकास नीतियों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान करेगी।
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की तैयारी में सरकार
जनगणना 2027 के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 को 00:00 बजे (आधी रात) तय की गई है। यानी देश के अधिकांश हिस्सों में उस तारीख को आधार बनाकर जनसंख्या का डेटा एकत्र किया जाएगा। हालांकि, हिमालयी और बर्फ से ढके क्षेत्रों में, जहाँ वर्ष भर में भौगोलिक और मौसम संबंधी कठिनाइयाँ रहती हैं, वहाँ जनगणना की प्रक्रिया पहले शुरू की जाएगी।
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इन क्षेत्रों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ गैर-समकालिक इलाके शामिल हैं। ऐसे क्षेत्रों में 1 अक्टूबर, 2026 को 00:00 बजे को संदर्भ तिथि माना जाएगा।
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की भारी कमी पर जताई चिंता
यह निर्णय विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए लिया गया है, जहाँ मार्च में भारी बर्फबारी और पहुंच की बाधाएं जनगणना कार्य को कठिन बना सकती हैं। इस तरह सरकार ने सुनिश्चित किया है कि हर क्षेत्र की सटीक जनसंख्या जानकारी उपलब्ध हो सके।
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जनगणना 2027 में पहली बार डिजिटल माध्यमों का बड़े पैमाने पर उपयोग होने की संभावना है। मोबाइल ऐप्स, ऑनलाइन पोर्टल और कंप्यूटर आधारित फॉर्म के माध्यम से डेटा संग्रह को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह जनगणना भारत की सामाजिक संरचना, आर्थिक स्थिति और संसाधनों के वितरण के लिए नई दिशाएं तय करेगी।
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