जकारिया सईद की जीत में रणनीति का कमाल, फज्रुद्दीन बेसर बने चाणक्य
साकरस पंचायत में विकास को मिला समर्थन, विरोधी खेमे की करारी हार
फज्रुद्दीन की सूझबूझ से जीता चुनाव, गांव ने दिखाया भरोसा
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डी.सी.नहलिया / फिरोजपुर झिरका: हरियाणा के साकरस क्षेत्र में हुए हालिया पंचायत चुनावों में जकारिया सईद की शानदार जीत ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस ऐतिहासिक जीत के पीछे अगर किसी का सबसे बड़ा योगदान रहा, तो वह हैं फज्रुद्दीन बेसर—जिन्हें क्षेत्र में अब "चाणक्य चौधरी" कहा जा रहा है।
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फज्रुद्दीन बेसर ने चुनावी रणनीति और समयबद्ध निर्णयों से न केवल विरोधियों को शांत किया, बल्कि सरपंच जकारिया सईद की छवि को मज़बूती से गांव के हर कोने में पहुंचाया। यह जीत सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि एक ऐसा संदेश है कि जब नेतृत्व सशक्त हो और रणनीतिकार समझदार, तो असंभव भी संभव हो सकता है।
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गांव साकरस में जहां जातीय और पारिवारिक राजनीति का दबाव हमेशा से भारी रहता था, वहां इस बार लोगों ने बदलाव की उम्मीद में मतदान किया। इस बार जीत का सेहरा उस व्यक्ति के सिर बंधा जिसने न केवल विकास के वादे किए, बल्कि अपनी रणनीति से विरोधियों को समय पर "हिसाब" भी दे दिया।
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सूत्रों की मानें तो फज्रुद्दीन बेसर ने चुनाव से पहले ही गांव की स्थिति का आकलन कर लिया था और हर गुट, हर परिवार तक पहुंचने की एक सधी हुई योजना बनाई। उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों को भी राजनीतिक समर्थन में तब्दील किया। यही कारण है कि ध्रुव विरोधी खेमा समय रहते खुद कमजोर होता गया।
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जकारिया सईद की जीत का जश्न गांव के हर गली-कूचे में देखा गया। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, हर किसी ने इस परिणाम को विकास की जीत बताया। खास बात यह रही कि चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में जब विपक्षी खेमे ने आक्रामक रणनीति अपनाई, तब फज्रुद्दीन ने शांत रहकर अपनी चाणक्य नीति से पूरा माहौल ही पलट दिया।
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इस अवसर पर जकारिया सईद ने जनता को धन्यवाद देते हुए कहा, “मैं केवल चेहरा हूं, असली ताकत मेरी पंचायत है, जिसमें फज्रुद्दीन भाई जैसे अनुभवी और निष्ठावान लोग हैं।”
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में चलाया गया जागरूकता कार्यक्रम
साकरस गांव में इस जीत से एक स्पष्ट संदेश गया है – जनता अब ऐसे नेतृत्व को पसंद करती है जो परिणाम देता है, और ऐसे रणनीतिकार को पहचानती है जो मुश्किलों में भी दिशा देता है।
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