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हस्तिनापुर में चातुर्मास की भव्य शुरुआत: आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी देंगे जनकल्याण का संदेश।

हस्तिनापुर में चातुर्मास की भव्य शुरुआत: आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी देंगे जनकल्याण का संदेश

गुरु पूर्णिमा पर तीर्थंकरों की भूमि हस्तिनापुर में मुनिराज ज्ञानभूषण जी का 33वां वर्षायोग आरंभ

एक पंथ दो काज': हस्तिनापुर में तीर्थ दर्शन के साथ मिलेगा मुनिराज का दिव्य आशीर्वाद

जैन धर्म के पंचशील सिद्धांतों का प्रसार करेंगे आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज

मेवात से हजारों श्रद्धालु पहुंचेंगे हस्तिनापुर: गुरु पूर्णिमा पर होंगे चातुर्मास दर्शन
डी.सी. नहलिया, फिरोजपुर झिरका।
हिंदू-जैन संस्कृति की शाश्वत परंपरा और तीर्थंकरों की जन्मस्थली हस्तिनापुर में एक बार पुनः अध्यात्म की गंगा बहने जा रही है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जैन धर्म के परम पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का 33वां वर्षायोग समारोह हस्तिनापुर में संपन्न हो रहा है। इस अद्वितीय योग में चातुर्मास का मंगल कलश स्थापित किया जाएगा, जो न केवल जैन अनुयायियों बल्कि संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा।
33वां वर्षायोग: अध्यात्म, संयम और अहिंसा का महोत्सव
33 वर्षों से देश के कोने-कोने में जनकल्याण और अहिंसा का संदेश देने वाले आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का यह वर्षायोग हस्तिनापुर जैसे तीर्थस्थल पर आयोजित होना अपने आप में एक ऐतिहासिक संयोग है। मुनिराज के दर्शन मात्र से आत्मा में शांति और विवेक का संचार होता है। उनका चातुर्मास चार महीनों तक चलेगा जिसमें वे सीमित परिधि में रहकर धर्म, तप, स्वाध्याय, ध्यान एवं प्रवचन करेंगे।
भक्तजन रजत जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि यह उनका जन्म-जन्मांतर का सौभाग्य है कि मुनिराज श्री के ससंघ का 33वां वर्षायोग हस्तिनापुर की पुण्यभूमि पर हो रहा है। इस धार्मिक आयोजन को लेकर सम्पूर्ण मेवात क्षेत्र में भक्तजनों में उत्साह का वातावरण है।
हस्तिनापुर: तीर्थंकरों की पावन जन्मभूमि
हस्तिनापुर केवल महाभारत कालीन राजधानी भर नहीं, बल्कि जैन धर्म की भी गौरवशाली भूमि रही है। यही वह भूमि है जहाँ जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर शांतिनाथ, 17वें तीर्थंकर कुंथुनाथ और 18वें तीर्थंकर अरनाथ का जन्म हुआ था। यह पावन नगरी आज भी अपने आध्यात्मिक वैभव, तपस्या और साधना स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
तीर्थराज हस्तिनापुर में चातुर्मास और गुरु पूर्णिमा जैसे आयोजनों का विशेष महत्व है। तीर्थंकरों की पुण्य स्मृतियों से आलोकित यह भूमि इस आयोजन के माध्यम से पुनः एक बार जैन समाज की आस्था और एकता का साक्षी बनेगी।
चातुर्मास: तप, त्याग और संयम का अनुपम उदाहरण
जैन धर्म में वर्षायोग, जिसे चातुर्मास भी कहा जाता है, जैन मुनियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण कालखंड होता है। इस दौरान मुनि किसी एक स्थान पर रुककर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इसका उद्देश्य है वर्षाकाल में जीवों की उत्पत्ति के चलते उन्हें हानि न पहुंचाना और अधिकतम समय आत्म साधना में व्यतीत करना।
आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी मुनिराज द्वारा संयम और विवेक के साथ किए जाने वाले प्रवचन, ध्यान और तप से भक्तों को आत्मकल्याण का मार्ग प्राप्त होगा। उनका सादगीपूर्ण जीवन, मौन साधना और पंचशील सिद्धांतों की व्याख्या हजारों अनुयायियों को प्रेरणा प्रदान करेगी।
पंचशील सिद्धांत: जैन जीवन शैली की रीढ़
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी द्वारा प्रतिपादित पंचशील सिद्धांत -

*अहिंसा (Non-violence) *सत्य (Truth) *अचौर्य (Non-stealing) *ब्रह्मचर्य (Celibacy) *अपरिग्रह (Non-possession)
इन सिद्धांतों की पालना करना जैन मुनियों, आर्यिका, श्रावक और श्राविकाओं के लिए अनिवार्य होता है। आचार्य श्री अपने उपदेशों के माध्यम से इन्हीं मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा करेंगे।
"एक पंथ दो काज": तीर्थ दर्शन और मुनिराज का आशीर्वाद
इस आयोजन का सबसे विशेष पहलू है “एक पंथ दो काज”। भक्तजन एक ही यात्रा में दो पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे — एक तो उन्हें तीर्थंकरों की जन्मस्थली हस्तिनापुर के दर्शन होंगे, वहीं दूसरी ओर वे आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी मुनिराज के ससंघ दर्शन कर उनका मंगलमय आशीर्वाद भी प्राप्त करेंगे। रजत जैन ने बताया कि मेवात क्षेत्र के नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना, पिनगवां, साकरस, नूँह आदि शहरों और गांवों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु 10 जुलाई को इस पवित्र यात्रा में शामिल होंगे।

जनकल्याण की भावना से प्रेरित आयोजन
आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी मुनिराज न केवल एक तपस्वी संत हैं, बल्कि जनकल्याण के प्रति समर्पित विचारक भी हैं। उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है। वे समाज को संदेश देते हैं कि — “अहिंसा ही सर्वोपरि धर्म है, आत्मा की शुद्धि ही सच्चा कल्याण है।”इसलिए यह आयोजन मात्र एक धार्मिक कार्यक्रम न होकर एक सामाजिक जागरूकता का भी मंच बनेगा। युवाओं, महिलाओं, विद्यार्थियों और बुजुर्गों सभी के लिए यह आत्मिक शांति, संयम, सेवा और सद्भाव का सजीव उदाहरण होगा।

भक्तजनों में उल्लास का माहौल
पूरे मेवात क्षेत्र में 10 जुलाई के कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त उत्साह है। स्थानीय समाजसेवकों, धार्मिक संगठनों और जैन अनुयायियों द्वारा व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तीर्थयात्रियों के लिए भोजन, आवास, चिकित्सा और दर्शन की समुचित व्यवस्था की जा रही है। विशेष जैन संगठनों ने स्थान-स्थान पर जागरूकता रैलियों और आमंत्रण सभाओं का आयोजन कर श्रद्धालुओं को इस पुण्य आयोजन में शामिल होने का आग्रह किया है।

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