फिरोजपुर झिरका में सियासी हलचल का खुलासा,धमकी, दबाव और पंचायत की राजनीति।
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फोटो कैप्शन: पत्रकार वार्ता के दौरान आरोप लगाते हबीब हवननगर। |
अगर इस्तीफा नहीं दोगे तो नौकरी जाएगी! — वायरल कॉल ने खोले सत्ता के राज
तेरी ड्यूटी खत्म समझो!’ फोन पर धमकी से कांपा पूरा गांव
भाजपा कार्यालय में वरिष्ठ नेता को कुर्सी नहीं मिली, बसुरी पर फिर उठे सवाल
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फिरोजपुर झिरका (नूंह, हरियाणा): जिला नूंह की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। नगीना ब्लॉक समिति अध्यक्ष अरशद खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला महामंत्री जतिन बसुरी पर ब्लॉक समिति सदस्य की पत्नी के पति को धमकाने के गंभीर आरोप लगे हैं।
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इस प्रकरण ने न केवल स्थानीय राजनीति को गरमा दिया है बल्कि पंचायत स्तर की राजनीति में हो रहे अनैतिक हस्तक्षेप और सरकारी कर्मचारियों पर बनाए जा रहे दबाव को भी उजागर किया है।
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घटना की पृष्ठभूमि
24 जून को नगीना ब्लॉक समिति में चेयरमैन अरशद खान के खिलाफ 16 सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया गया। चेयरमैन पद पर खतरा मंडराता देख राजनीतिक जोड़तोड़ शुरू हो गई। जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमें अपने-अपने तरीकों से समीकरण साधने में जुट गए। इसी दौरान वार्ड 16 से ब्लॉक समिति सदस्य ममता, जो पहले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर रही थीं, अचानक अरशद खान के पक्ष में चली गईं। उनका यह "पाला बदलना" भाजपा जिला महामंत्री जतिन बसुरी को नागवार गुजरा और यहीं से शुरू होती है इस खबर की असल कहानी।
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धमकी और दबाव का आरोप
ममता के पति रामजीश, जो एक होमगार्ड के पद पर कार्यरत हैं, को भाजपा जिला महामंत्री जतिन बसुरी द्वारा फोन कॉल पर धमकाने का आरोप लगा। वायरल हुई कॉल रिकॉर्डिंग में भाजपा नेता द्वारा सरकार से बाहर जाने पर नौकरी से हटाने की धमकी, एसपी और एसएचओ से संपर्क की धौंस और तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने का दबाव साफ सुना जा सकता है। इस कॉल रिकॉर्डिंग के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।
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फोन पर बातचीत का अंश
· भाजपा नेता: “आप सरकार के मुलाजिम हो न, ये तो मानते हो?”
· होमगार्ड: “हां जी।”
· भाजपा नेता: “तो मर्जी भी आपकी चलनी चाहिए, पत्नी आपकी है... इस्तीफा आज ही दे
दो।”
· होमगार्ड: “सर, मैं डिप्रेशन में हूं। 10 दिन से परेशान हूं।”
· भाजपा नेता: “जब तू सड़क पर खड़ा होकर ट्रक वालों से उगाही करता है, तब दबाव नहीं लगता?”
यह संवाद इस बात का स्पष्ट संकेत है कि एक मामूली सरकारी कर्मचारी को किस तरह मानसिक रूप से प्रताड़ित कर राजनैतिक दबाव में लिया जा रहा है।
रामजीश का पक्ष
होमगार्ड रामजीश ने इस प्रकरण में भाजपा नेता पर मानसिक उत्पीड़न और नौकरी को हथियार बनाकर धमकाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वे किसी राजनैतिक दल का हिस्सा नहीं हैं और केवल अपनी पत्नी की पंचायत में भूमिका को निभाने में सहयोग कर रहे थे। लेकिन जिला स्तर के नेता द्वारा उनके परिवार पर दबाव बनाकर उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
पारिवारिक स्तर पर प्रभाव
इस राजनीतिक घटनाक्रम ने सिर्फ प्रशासनिक मर्यादाओं को नहीं तोड़ा, बल्कि एक परिवार की शांति और सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया। रामजीश ने यहां तक कह दिया कि वह अपनी पत्नी से पार्षद पद से इस्तीफा दिलवाने को तैयार हैं क्योंकि वह इस दबाव से टूट चुके हैं।
वायरल रिकॉर्डिंग और कानून व्यवस्था
वायरल हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग को लेकर अब तक भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न ही स्थानीय पुलिस ने इस बारे में कोई जांच शुरू करने की पुष्टि की है, जबकि ऑडियो में खुलेआम सरकारी पद और पुलिस अधिकारियों के नाम लेकर धमकी दी गई है। यह सवाल उठाता है कि क्या सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है? और क्या एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के सेवकों को राजनैतिक उद्देश्यों के लिए मजबूर किया जा सकता है?
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पंचायत समिति जैसी संस्थाएं हमेशा
से ही जमीनी राजनीति का केंद्र रही हैं। लेकिन हालिया घटनाक्रम यह दर्शाता है कि
अब यहां भी नैतिकता और आदर्शों की जगह भय और सत्ता का खेल हावी होता जा रहा है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता इस प्रकरण में शामिल रहे हैं, लेकिन भाजपा जिला
महामंत्री द्वारा की गई कथित धमकी ने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है।
अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि और सत्ता समीकरण
अरशद खान, जो कभी कांग्रेस विधायक मामन खान के नजदीकी माने जाते थे, अब पार्टी से उनकी दूरी जगजाहिर हो चुकी है। विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही अरशद खान ने विधायक पर कमीशन के आरोप लगाए थे और उनसे नाता तोड़ लिया था। इसके बाद से ही मामन खान उनके खिलाफ सक्रिय हो गए।24 जून को जब अविश्वास प्रस्ताव लाया गया तो उम्मीद थी कि अरशद खान को हटाना तय है, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों के कुछ सदस्य एकजुट दिख रहे थे। लेकिन जब वोटिंग का समय आया तो प्रस्ताव का समर्थन करने वाले 16 में से एक भी सदस्य बैठक में नहीं पहुंचा। इससे स्पष्ट हो गया कि अरशद खान ने अपने पुराने रिश्तों को मजबूत कर कुर्सी बचा ली।
ममता का पाला बदलना और उसके पीछे का दबाव अब इस पूरे घटनाक्रम का केंद्र बन गया है। सूत्रों के मुताबिक, ब्लॉक समिति की राजनीति में यह पहला मौका है जब दोनों बड़ी पार्टियां एकजुट नजर आईं, लेकिन फिर भी हार गईं। यह मामन खान के लिए भी बड़ा झटका है, जो पहले ही भाजपा के साथ उनके मेल को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।
इनेलो नेता हबीब हवननगर ने बयान जारी कर कहा कि मामन खान ने भाजपा
नेता के बेटे का समर्थन कर उनके उम्मीदवार जकरिया शहीद को हरवाया और अब भाजपा के
साथ मिलकर चेयरमैन को हटाना चाहा,
लेकिन उन्हें केवल शर्मिंदगी मिली।
हबीब ने ऑडियो जारी कर धमकी भरे लहजे को उजागर किया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक
बताया।
भाजपा संगठन में अंदरूनी असंतोष और जतिन बसुरी पर उठते सवाल
भाजपा जिला महामंत्री जतिन बसुरी के खिलाफ यह पहला विवाद नहीं है। इससे पहले भी पार्टी के भीतर उनके बर्ताव को लेकर कई वरिष्ठ नेता सार्वजनिक रूप से नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं। कुछ समय पहले भाजपा कार्यालय में हुई एक बैठक के दौरान कथित रूप से जतिन बसुरी ने एक वरिष्ठ भाजपा नेता को कुर्सी देने से मना कर दिया था, जिससे बैठक में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस व्यवहार से आहत वरिष्ठ नेता बैठक छोड़कर चले गए थे, और यह बात आज भी क्षेत्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
पार्टी की छवि पर असर
जतिन बसुरी द्वारा की गई कथित धमकियों और दुर्व्यवहार की घटनाएं भाजपा की संगठनात्मक छवि को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। पार्टी जहां एक ओर 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा देती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर पदाधिकारी का यह रवैया कार्यकर्ताओं और जनता में भय का माहौल बना रहा है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण को लेकर अब पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अनुशासन समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराने का मन बनाया है। सूत्रों का कहना है कि यदि यह मामला और तूल पकड़ता है तो पार्टी हाईकमान को इस पर संज्ञान लेना पड़ सकता है।
लोकतंत्र बनाम दबाव की लड़ाई
पूरा घटनाक्रम यह दर्शाता है कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक
राजनीति किस प्रकार सधे हुए दबाव,
धमकी और भय के वातावरण में संचालित हो
रही है। एक होमगार्ड की छोटी-सी नौकरी, एक महिला सदस्य की निष्ठा, और एक पदाधिकारी की
सत्ता की लालसा – इन तीनों के बीच फंसी यह घटना हरियाणा की राजनीति का वह चेहरा
उजागर करती है जो अकसर पर्दे के पीछे छिपा रह जाता है। अब देखना यह है कि भाजपा
संगठन इस पर क्या रुख अपनाता है –
सुधार की राह या दबाव की रणनीति?
कीवर्ड्स और हैशटैग्स:
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