CM बनने की चाह नहीं, जन सेवा ही मेरा लक्ष्य: राव इंद्रजीत सिंह ।
राव इंद्रजीत सिंह ने तोड़ी चुप्पी: कहा, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं, अगर कुर्सी गोद में गिरी तो अलग बात।
गुरुग्राम। केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने एक पॉडकास्ट साक्षात्कार में हरियाणा की राजनीति को लेकर कई बड़े बयान देकर सियासी हलकों में चर्चा को गर्मा दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की अपनी संभावनाओं से लेकर प्रदेश की सत्ता संरचना,
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जातीय समीकरण और पार्टी के अंदरूनी मतभेदों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। राव ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हूं।
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अगर कुर्सी अपने आप गोद में गिर गई तो बात और है। लेकिन मुझे किसी पद की लालसा नहीं, मेरा लक्ष्य केवल जनसेवा है।" उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब हरियाणा में सत्ता को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
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CMO पर पूर्व अफसरों का कब्जा
राव इंद्रजीत सिंह ने हरियाणा के मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को युवा और निर्णय क्षमता वाला नेता बताया। मगर उन्होंने साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) पर अब भी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल के अफसरों का दबदबा है।
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खट्टर
जननेता नहीं बन पाए
अपने बयान में राव ने कहा, "खट्टर ने हरियाणा में विकास के कई काम किए। प्रदेश के कोने-कोने में सड़कों से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक सुधार लाए। लेकिन वे सीधे जनता से जुड़ने वाले जननेता नहीं बन सके।"
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बीजेपी
में शामिल होना कुछ नेताओं को अखर गया
राव ने खुलासा किया कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर बिना किसी शर्त बीजेपी जॉइन की थी। लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को यह बात पसंद नहीं आई और यही वजह रही कि वे अंदरूनी राजनीति का शिकार होते रहे।
सबसे
बड़ा जनाधार होने का दावा
राव इंद्रजीत सिंह ने अपने जनाधार पर भरोसा जताते हुए कहा कि उनका जनाधार हरियाणा में सबसे व्यापक है। इसी कारण कुछ लोग उन्हें आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री
पद पर नहीं है नजर
राव ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी कांटों से भरी होती है। उन्होंने साफ किया कि वे किसी पद की दौड़ में नहीं हैं और जनता के हक की आवाज उठाने में यकीन रखते हैं। उन्होंने कहा, "मुझे ताज का मोह नहीं, मुझे जनता का साथ चाहिए।"
हर
प्रोजेक्ट के लिए संघर्ष
उन्होंने एम्स, सेंट्रल यूनिवर्सिटी और सैनिक स्कूल जैसे प्रोजेक्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि हर योजना के लिए उन्हें दिल्ली से चंडीगढ़ तक संघर्ष करना पड़ा। कुछ भी आसानी से नहीं मिला।
हुड्डा
से तल्खी की वजह
राव इंद्रजीत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अपने रिश्तों की तल्खी की वजह बताते हुए कहा, "मैं एक जरूरी काम को लेकर उनसे मिलने गया था। लेकिन उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया। इसके बाद मैंने फिर उनके पास जाने की जरूरत नहीं समझी।"
बेटी के
लिए टिकट की हकीकत
राव ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी आरती राव के लिए टिकट की मांग कभी नहीं की। पार्टी ने खुद ही टिकट दिया और मंत्री बनाया।
पार्टी
में मंत्री पद की स्थिति
उन्होंने कहा कि वे राज्य मंत्री के पद पर जरूर हैं लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उनकी बात ध्यान से सुनते हैं। उन्हें यह बात काफी संतोष देती है।
राजनीतिक
संकेत और भविष्य की तस्वीर
राव इंद्रजीत सिंह का यह पॉडकास्ट कई गहरे राजनीतिक संकेत छोड़ता है। वे भले ही खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर बता रहे हों, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर परिस्थितियां बनीं तो वे जिम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हटेंगे।
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