लाखों की लागत से लगाए पेड़ बने आवारा पशुओं का शिकार।
बस स्टैंड के पीछे हरित क्षेत्र का सपना रह गया अधूराफिरोजपुर झिरका (डी.सी. नहलिया) शहर के मुख्य बस स्टैंड के पीछे स्थित खाली भूमि पर गत वर्ष परिवहन विभाग द्वारा लाखों रुपये की लागत से पौधारोपण अभियान चलाया गया था। उद्देश्य था — इस क्षेत्र को हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करना और साथ ही यात्रियों को प्राकृतिक छांव देने के लिए हरियाली का निर्माण करना। लेकिन विभागीय लापरवाही और देखरेख के अभाव में आज ये पौधे आवारा पशुओं का भोजन बन चुके हैं।
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बस स्टैंड फिरोजपुर झिरका की जमीन जिस पर गत वर्ष पहले पोधे रोपण किए गए थे। |
स्थानीय लोगों और यात्रियों के अनुसार, कुछ महीने तक तो ये पौधे बढ़ने लगे थे लेकिन न तो इन्हें समय पर पानी मिला और न ही इनके चारों ओर कोई सुरक्षा व्यवस्था की गई।
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आवारा पशु इस इलाके में अक्सर घूमते रहते हैं और उन्होंने धीरे-धीरे सभी पौधों को नष्ट कर दिया। आज हालत यह है कि वहां कोई पौधा जीवित नहीं बचा है और जो कभी हरियाली की उम्मीद थी, वह अब सूनी जमीन में बदल गई है।
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बस स्टैंड फिरोजपुर झिरका की जमीन जिस पर गत वर्ष पहले पोधे रोपण किए गए थे। |
इस लापरवाही से न केवल सरकारी धन राशि का दुरुपयोग हुआ है, बल्कि शहर के पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गर्मियों में जब तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचता है, तो ऐसे पेड़ आम जनता के लिए राहत बन सकते थे। यह घटना दर्शाती है कि हमारे सरकारी विभाग पौधारोपण की योजनाओं को केवल "कागजों" तक सीमित रखते हैं।
क्या कहते है बस स्टैंड इंचार्ज
बस स्टैंड के इंचार्ज महबूब खान ने बताया कि उन्होंने समय-समय पर
विभागीय अधिकारियों को इस मुद्दे पर अवगत कराया था। उन्होंने कहा, “अगर समय रहते इन पौधों के चारों ओर फेंसिंग की जाती और
नियमित रूप से पानी व देखरेख होती, तो आज
वहां छोटे-छोटे पौधे नहीं बल्कि बड़े पेड़ दिखाई देते।
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