हरियाणा CET परीक्षा की तारीखों पर बवाल: 35,000 स्कूल बंद करने का विरोध, क्या टाली जाएगी परीक्षा?
HSSC को अल्टीमेटम: '1300 सेंटरों के लिए क्यों बंद हों 35,000 स्कूल?' CET परीक्षा पर हाईकोर्ट के निर्देश का हवाला, हरियाणा में CET का 'परीक्षा पे चर्चा' विवादों में: छात्रों की पढ़ाई का नुकसान या सरकारी अड़ियल रुख? जुलाई के आखिरी वीकेंड पर CET से बवाल: क्या सरकार झुकेगी या लाखों छात्रों की पढ़ाई होगी प्रभावित?
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एसोसिएशन का कहना है कि सिर्फ 1300 परीक्षा केंद्रों के लिए पूरे राज्य के 35,000 से अधिक स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद करना गलत है और इससे छात्रों की पढ़ाई का भारी नुकसान होगा।यह भी पढे:- क्या वोट बैंक की सियासत में दब गया मेवात की जनता का स्वास्थ्य अधिकार?
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप सी और डी पदों के लिए CET परीक्षा 2025 की तारीखें 26 और 27 जुलाई तय की हैं। ये तारीखें जुलाई के आखिरी शनिवार और रविवार को पड़ रही हैं। इस परीक्षा के लिए प्रदेशभर के करीब 1300 स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई है।
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35,000 स्कूल बंद क्यों? फेडरेशन ने उठाए सवाल
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने HSSC के इस फैसले पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उनका तर्क है कि जब सिर्फ 1300 स्कूलों को ही परीक्षा केंद्र बनाया गया है, तो फिर संपूर्ण हरियाणा के 35,000 से अधिक निजी और सरकारी स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद करने का औचित्य क्या है?
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शर्मा का स्पष्ट कहना है कि केवल उन्हीं स्कूलों में छुट्टी घोषित की जानी चाहिए, जिन्हें परीक्षा केंद्र बनाया गया है। सभी स्कूलों पर इसका असर डालना न केवल अनुचित है, बल्कि शैक्षणिक कैलेंडर को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा।
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परीक्षा की तारीख पर गंभीर सवाल
एसोसिएशन ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि CET परीक्षा जुलाई के आखिरी शनिवार और रविवार को निर्धारित की गई है। उनका कहना है कि राज्य के सभी स्कूल हर महीने के दूसरे शनिवार को पहले से ही बंद रहते हैं। अगर HSSC इस परीक्षा को दूसरे शनिवार और रविवार को आयोजित करता, तो छात्रों की पढ़ाई पर न्यूनतम असर पड़ता और अतिरिक्त अवकाश की जरूरत नहीं पड़ती। यह तारीखों का चुनाव अदूरदर्शी लगता है, जिससे अनावश्यक रूप से शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला
कुलभूषण शर्मा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक पुराने निर्देश का भी जिक्र किया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि सरकारी परीक्षाओं के कारण स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियों पर असर नहीं पड़ना चाहिए। फेडरेशन का कहना है कि उनका उद्देश्य सरकार के कार्यों में बाधा डालना नहीं है, बल्कि न्यायालय के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना है। वे चाहते हैं कि सरकार शिक्षा और छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय ले।
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स्कूल संगठन की स्पष्ट मांगें
CET परीक्षा की तारीखों को लेकर स्कूल संगठन ने अपनी
मांगें साफ कर दी हैं:
केवल परीक्षा केंद्रों पर छुट्टी: सभी स्कूलों में अनावश्यक अवकाश घोषित करने के बजाय, केवल उन्हीं स्कूलों में छुट्टी दी जाए जिन्हें परीक्षा केंद्र के
रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
भविष्य में योजनाबद्ध आयोजन: भविष्य में इस तरह की बड़ी परीक्षाएं महीने के दूसरे शनिवार और
रविवार को रखी जाएं, ताकि शिक्षण कार्य कम से कम बाधित हो।
शैक्षणिक प्रक्रिया पर असर न पड़े: सरकारी योजनाओं और आयोजनों को इस तरह से चलाया जाए कि स्कूलों की शैक्षणिक प्रक्रिया और छात्रों की पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित न हो।
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सरकार से सहयोग की अपील
फेडरेशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे इस मुद्दे को लेकर बार-बार अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहते। उनका मानना है कि सरकार को सभी हितधारकों (छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन) की सहमति और सुविधाओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। यह समय है जब सरकार को शिक्षा के महत्व को समझते हुए छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करने का संदेश देना चाहिए। अब देखना यह है कि HSSC और हरियाणा सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और क्या CET परीक्षा की तारीखों में कोई बदलाव किया जाता है या नहीं। यह लाखों छात्रों और हजारों स्कूलों के भविष्य का सवाल है।
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शिक्षा, सरकारी परीक्षा, स्थानीय समाचार, विवाद
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